🍁 देश फिर से दास ना हो ये अंदेशा है। देखकर के सियासत का रंग जैसा है।
वे बहुत मशरूफ़ संसद संविधानों में। क्या पता उनको सभी जा डर कैसा है? 🌳 -गंगेश गुंजन रचना: २०१३ ई.
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