Monday, May 28, 2018

भूले से विश्वास न कर

भूले से विश्वास न कर
               *
मौसम  वापस लौटेगा
भूले से विश्वास न कर

कोई  वचन निभाएगा
ऐसी कोई आस न कर

जीवन रख आम ही दोस्त
इसको इतना ख़ास न कर

एकान्तों  में घर न   बना
गांँव से दूर  निवास न कर

मरना  ही है  गर तुझको
यूँ  लावारिस लाश न कर    

बहुत पुराना है  सब कुछ
फेंट-फाँट के ताश न कर  

भटके   हुए डरे हैं  लोग
सोच के मन हताश न कर

वोट  पर्व  के वादों  का
भूले से   विश्वास न कर

बकबक करने दे उसको
तू तो यूं बकवास ना कर

आया  नहीं पत्र  उसका
जी अपना उदास ना कर

टूट  न जाने  दे सपना
दिलकी ख़त्म प्यास न कर

एक सफ़र फिर जो बेकार  
हो,मन को वनवास न कर।    
              -गंगेश गुंजन।17 जून 20011

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