भुलक्कड़ जनता का यह प्रौढ़ लोकतंत्र !
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सच और झूठ का प्रयोगात्मक घालमेल और चतुराई का खेल है राजनीति। लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का यह एक आजमाया हुआ व्यवहार है जो कालांतर में दलीय विचार के अनुरूप उसके चरित्र का अंग होते हुए दलीय स्वभाव और उनका राजनीतिक व्यवहार तथा विचार बन गया है। सिद्धांत और आचरण की मूलभूत नैतिकता भी सुविधा और अवसरोचित वेग से बदलती रहती है। इसी प्रक्रिया में नैतिकता सामाजिक जीवन में उदासीन होती गई है। राजनीति में तो नैतिकता पहले ही अप्रासंगिक हो चुकी है।
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गंगेश गुंजन।१६.५.२०१८.
Tuesday, May 15, 2018
भुलक्कड़ जनता का यह प्रौढ़ लोकतंत्र !
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