Tuesday, May 15, 2018

मनोरंजन के विकल्प

मनोरंजन के विकल्प
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कोई मनोरंजन मुकम्मल हो ही‌नहीं सकता जिसमें मूर्खता की छौंक न पड़ी ‌हो। आम तौर  से तो मैं इस शाम-रात के समय टीवी चैनलों के कुछ चुने हुए हास्य भरे मनोरंजन सीरियल ही देखता हूं। दिल बहलता है।लेकिन आज कर्नाटक चुनाव परिणामों पर तमाम टीवी चैनेलों पर छिड़े घमासानों को देखकर‌ ही मनोरंजन किया।और यह भी लगा कि ऐसा करके मैंने कोई ग़लती नहीं की। यहां तो दिल ही नहीं दिल्ली बहल‌ रही‌ थी ! इसमें मैंने कुछ और ज़्यादा ही मनोरंजन प्राप्त किया,क्योंकि चैनेलों के ये विदूषक भी नैसर्गिक प्रतिभा के बड़े धनी अभिनेत्री-अभिनेता रहते हैं।‌
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-गंगेश गुंजन। १५.५.’१८.

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