१.
अजब बेरहम और ख़ुदग़र्ज़ हैं ये महानगरी लोग। शजर की शहादत पर चैन से चलते हैं मेट्रो में । २. मुझे तो फ़िक्र है अब अपने पाटलिपुत्र की भी ये। खड़े होने लगे हरियालियों की क़ब्र पर खंभे। 🌀
गंगेश गुंजन -उचितवक्ता डेस्क--
No comments:
Post a Comment