हमारे घरों में अप्रासंगिक हो कर रद्दी बन गईं वस्तुएं कितने ही घरों में जीने के ज़रूरी सामान हैं।
गंगेश गुंजन
(उचितवक्ता डेस्क)
No comments:
Post a Comment