स्वार्थ और विचार बहुलअपने इस देशीय समाज में जिस दिन यह धर्म,भाव समरस मिलन,यह संगम होगा,हमें वह दुनिया मिल जाएगी। इस स्वप्न में बहुत लोग अनथक हुए अपनी-अपनी आयु जी रहे हैं।
प्रयाग को महज़ भू-धार्मिक समझने की भूल न करें।
धर्मास्था से परे वह, मानव प्रकृति की चिरन्तन लोक- धारणा भी है।
No comments:
Post a Comment