Thursday, December 14, 2017

मन में उपजा

स्वार्थ और विचार बहुलअपने इस देशीय समाज में जिस दिन यह धर्म,भाव समरस मिलन,यह संगम होगा,हमें वह दुनिया मिल जाएगी। इस स्वप्न में बहुत लोग अनथक हुए अपनी-अपनी आयु जी रहे हैं।

प्रयाग को महज़ भू-धार्मिक समझने की भूल न करें।

धर्मास्था से परे वह, मानव प्रकृति की चिरन्तन लोक- धारणा भी है।

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