विचार शायद ही मरता है। रहता ही है। मार्क्स का विचार रहेगा। धारा प्रदूषित-कलुषित हो जाती है। अभी का संकट धारा का है, विचार का नहीं।
(उचितवक्ता डेस्क) गंगेश गुंजन
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