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कविता कहने के लिए मनुष्य होना
ज़रूरी है। मनुष्य बचा रहेगा तो नहीं
लिखी जा कर भी कविता,बची
रहेगी।आदमी नहीं रहेगा तो कविता
भी निष्पन्द एक शब्द भर रह
जाएगी।
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गंगेश गुंजन
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