दूसरा शायद ही कोई प्राणी ।
पृथ्वी पर सचमुच मनुष्य के जैसा दूसरा कोई प्राणी नहीं है।यह स्वार्थी तो आकाश के आँसू बहने पर, वर्षा मंगल गाने लगता है।
गंगेश गुंजन,२१.१०.'२३. #उचितवक्ताडेस्क।
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