'अछाहे कुकूर भूकै छैक।सूति रहू।' बच्चा कें डरा क' शान्त करबाक उपाय ई कहबी, अभिभावक मुहें नेने- भुटका सं सुनैत आयल छी।
उच्च सजगताक आवेश मे भरि देश लगैए जेना आशंकाक 'अछाहे कुकूर भूकब' वला परिस्थिति पसरि गेल हो।
देश-चिन्ता तं सर्वोपरि। मुदा आन देशी मन-बुद्धिये नहिं।एक सीमा धरि,अपन देसी आवश्यकता ओ लक्ष्यक अनुभव मे।देश-चिन्ताक विवेक सेहो स्वदेशी चाही।आयातित बौद्धिकता सं तं जतेक दुर्दशा देश के परतंत्र भारतमे अंग्रेजहु सरकारक प्रभाव मे नहिं पहुंचल छल ओइ सं कय गुना बेसी स्वतंत्र भारत मे भेल हयत। एहि यथार्थ दिस लोकक ध्यान अवश्य जयबाक चाही।🌀
गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)
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