कालजयी कृति आलोचना में नहीं अंटती है।उसके अंतिम अनुसंधान,आलोचना और निष्कर्ष आने के लिए ही जिम्मेवार पुस्तकालय अब भी खुले हुए हैं।
-गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)
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