Sunday, November 10, 2019

टूटी-फूटी ज़िन्दगी से शिकायत।

इस तरह टूटी फूटी रहकर

क्यों सताती रहती है मुझको।  

ऐ मेरी ज़िन्दगी !

एकेक सांस किराया देकर

रहता हूं मैं तुझमें।कोई मुफ़्त में नहीं।


-गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)

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