आने-जाने को लेकर पल-पल को इतना क्यों गिनते हैं।
कुछ बुजुर्ग तो हद हैं अपना हंसना भी रोते रहते हैं।
गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)
No comments:
Post a Comment