।। प्रे म ।।
प्रेम तेना नहिं करी जे गीजैत लागय।
गीजल तंँ मनुष्य कें सुअदगर भात-दालि
छप्पन भोगो नै गीड़ल होइ छैक। प्रेम तँ
अओर नहिं।
🌻
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडे.
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