Tuesday, April 4, 2023

ग़ज़ल नुमा : कहाँ अब ठौर कोई रहा जाना !

                     🌼.
     कहांँ अब ठौर कोई रहा जाना
     किसे फ़ुर्सत कि रहता जाना आना।

     सियासत जानती है ठीक से ये
     किसे कब और है कितना मिटाना।
    
     उसे दुःख दर्द के लोगों से मतलब
     जिसे आता है सब अपना गँवाना।

     तिज़ारत में अलग हो ख़ास लेकिन
     अपन रिश्ता तो है पूरा निभाना।

     बहुत दु:ख में हों और अकेले तो
     वायदा था  इक दूजे का बुलाना।

     बड़ी थी सर्द उस शब हम टिके थे
     बक़ाया क़र्ज़ है उसका चुकाना।

      गंगेश गुंजन

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