Wednesday, October 30, 2019

बाग़ में बेला

वहां गमले में मुर्झाया हुआ था।

बाग़ में  तो बेला खिल गया है।

एक से एक वक्ता अभी चुप हैं 

अच्छे-अच्छों का मुंह सिल गया है।

             गंगेश गुंजन।

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