कपूर की इबारत और मुहब्बत 🍂 कोई शिकवा नहीं है गुंजन से मुझको आज भी। मगर कपूर से तो यूं नहीं लिखता वफ़ा अपनी। 🍁🍁 गंगेश गुंजन
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