कुछ अपराध मनुष्य की नियति में
ही हैं और अपरहार्य हैं।जैसे,कब
कैसे कोई चींटी आपके पैर के
नीचे दब कर मर जाती है आपको
पता नहीं होता। लेकिन जब यह
मालूम पड़ जाय तो क्षण भर
पश्चात्ताप करके ही अगला कदम
राह पर रखते हैं।
ग़लती पर,खेद होना नहीं भूलता
हूं मैं।
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गंगेश गुंजन
Tuesday, September 3, 2019
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