हम मज़दूर हैं। मिट्टी कोई हो,
ख़ून-पसीने से उसे देश बना देते हैं।
जहाज़-जहाज़ भर के सागर पार,
मज़दूर ले जाओगे,कहां ?
ख़ून पसीना से हम उसे
मॉरिशस कर देंगे।
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गंगेश गुंजन
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