Thursday, February 7, 2019

कविता

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कोई एक कविता संपूर्ण और समग्र नहीं कहती। पाठक को संपूर्ण और समग्र देखने- महसूसने के संकेत और उस अनुभव के संभव आयामों तक ले जाती है।
                      🌻
                 -गंगेश गुंजन

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