🌱 कोई एक कविता संपूर्ण और समग्र नहीं कहती। पाठक को संपूर्ण और समग्र देखने- महसूसने के संकेत और उस अनुभव के संभव आयामों तक ले जाती है। 🌻 -गंगेश गुंजन
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