सुबह
🌻
छील रही हैैं उषा की उंगलियां
फल की तरह ब्रह्मांड !
उजाले पर से अंधेरे का छिलका
उतर रहा है।
सुबह हो रही है।
छिला हुआ संतरा-सूरज
उगा !
🌻
-गंगेश गुंजन.
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