Thursday, December 6, 2018

कुछ ज़रूरी टिप्पणियां !

सत्ता से बाहर सत्ताभोगी और सत्ताधारी रानीतिक दल !
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सत्ताभोगी किसी रानीतिक दल का कार्यकर्ता या नेता अगर दूसरे सत्ताधारी दल के नेता की‌ खिंचाई करता है तो यह उसकी ‘थेथरै’  ही कही जाएगी। बिल्कुल थेथरै। कारण यह कि अभी तक देश की जनता को ऐसे किसी एक भी राजनीतिक दल के शासन सत्ता में रहकर ऐसा कुछ  अनुभव नहीं हुआ है कि भ्रष्टाचार उसके गुप्त एजेंडे में‌ नहीं रहा हो। सो यह ऐसे लोकतंत्र का यह चुनावी कर्मकाण्ड भी मिलाजुला कर सत्ता का हस्तांतरण भर होकर रहता है।ठीक वैसे ही 1000 मीटर के रिले रेस के जैसा।
जनसाधारण बेचारा तो 5 वर्ष का पपीहरा है!
००
वर्तमान कितना भी छोटा हो,अतीत से बड़ा होता है लेकिन वर्तमान कितना भी बड़ा हो भविष्य से छोटा होता है।
२.
संस्कृति माफ़िया !
चंदन माफिया,कोयला-बालू-
माफ़िया और  के समान ही देश भर कहीं 'संस्कृति माफिया' का भी उद्भव और विकास तो नहीं हो गया लगता है ? अगर है तो इसका संपोषण निश्चित ही राज्य और केन्द्रीय सरकारों के संस्कृत मंत्रालय और उनसे संबद्ध केंन्द्र और राज्यों की अकादमियां करते हैं। अपवाद छोड़ दें तो इसके उत्स चाहे जो और जहां भी रहें।
३.
नानी विद्या
संस्कृत मेरी नानी विद्या है।(विद्यानानी)! क्योंकि मैंने हिन्दी पढ़ी है और संस्कृत हिन्दी की जननी है, सो संस्कृत मेरी नानी विद्या है।

-गंगेश गुंजन।६.१२.

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