Tuesday, October 23, 2018

प्रसाद में केक

।। केक ।।
🥀
प्रसादी की जलेबी खाती हुई एक छोटी-सी बच्ची मुझसे अचानक पूछ बैठी:
-दादा जी,अमेरिका और इंग्लैंड में जो रहते हैं वे पूजा में भगवान को प्रसाद क्या चढ़ाते हैं ? काहे कि वहां मिठाई तो बिकती नहीं है। तब?’
-’हां यह तो है। तुम ही कहो तो वे लोग प्रसादी क्या चढ़ाते होंगे?’ मैंने उसीसे पूछा तो वह एक क्षण सोचती रही। फिर बोली-’शायद दादा,पूजा में दुर्गा माय को वे लोग केक चढ़ाते होंगे ! और सुंदर-सुंदर बिस्किट टॉफी! है न?’
   मुझे स्वाभाविक ही हंसी आ गई। बच्ची की मासूम कल्पना पर आनंद आ गया! बच्ची गांव में एक पूजा- पाठी धर्म प्राण परिवार में वह जन्मी है।संस्कार में ये ही सब हैं किन्तु उसकी बाल सुलभ कल्पना में वैज्ञानिकता लगी। 
-’सो तो ठीक है लेकिन तुमको कैसे मालूम है कि वहां अमेरिका इंग्लैंड इत्यादि देश में मिठाई नहीं मिलती है ?’ मैंने उससे पूछा।
-’नमो काका जो कहते हैं न !’उसने तपाक से कहा।
-’नहीं बेटी अब तो दुनिया भर देश में हर देश का का खानपान चलता है। इसीलिए चाहने पर मिल भी जाता  है। इसलिए इंग्लैंड-अमेरिका में भी मिठाइयां मिलती हैं।हां,थोड़ी कठि- नाई से और महंगी।अपने यहाँ जो बाजार में मिठाई की दुकानें भरी पड़ी हैं,वहां इतनी नहीं। मगर मिठाई मिलती वहां भी है।परंतु बेटा,आपका यह प्रसाद में केक चढ़ाना मुझे भा गया! और मैं यह मानता हूं सच में यदि वे लोग  वहां पूजा करते हैं तो उन्हें प्रसाद में केक ही चढ़ाना चाहिए क्योंकि वहां की मिठाई है और केक भी इतने-इतने प्रकार की मिठाई है कि खाते-खाते आदमी का जी ना भरे,इतना स्वादिष्ट।
-'लेकिन दादा,दुर्गा माँ तो बहुत गुस्सा वाली हैं,तो प्रसादी में केक चढ़ाने पर दुर्गा माय नाराज़ नहीं हो जाएंगी?’
-’मां कहीं अपने बच्चे पर नाराज होती है !’ मैंने कहा।
बच्ची दिल से प्रसन्न थी।
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-गंगेश गुंजन,17अक्टूबर'18

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