Wednesday, September 19, 2018

नफ़रत के वातावरण की जड़

नफ़रत के वातावरण की जड़

आश्चर्य होता है ! अधिकतर बुद्धिजीवी,संवेदनशील कवि,सामाजिक लोग भी आंख मूंदकर मानते चल रहे हैं कि समाज भर देश में व्याप्त नफ़रत के वातावरण की जड़ एकमात्र सांप्रदायिक है।
   अन्यान्य प्रबल बुनियादी कारणों में निश्चय ही यह भी एक है किन्तु तमाम अशांति और उथल-पुथल का केंद्रीय कारण साम्प्रदायिकता है समझना,विवेक सम्मत तो नहीं जंचता।
    मुझे इसका बहुत गौरव है कि मेरे गांव और आसपास में आज तक कभी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ।लेकिन इसी के आधार पर मैं यह दावा नहीं कर सकता कि मेरे गांव या उस इलाके में पारस्परिक नफ़रत, झगड़ा-विवाद नहीं है। सांप्रदायिकता के अतिरिक्त इस देश में जाति,धर्म,वर्ग और अन्य गरीबी-अमीरी अनेक मसले हैं।और ये सभी मसले मवेशी की तरह हांके जा रहे हैं राजनीति यानी राजनेता से। और राजनीति लगभग नैतिकता विहीन,स्वार्थी और निहायत आत्मकेंद्रित,होकर मात्र सत्ता व्यामोही जमात की पहचान बन चुकी है। चीजें वेही रहती हैं लेकिन सत्ता के बदलते ही उनकी व्याख्या बदल जाती है। कारण भी अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्रों के आईने में अलग देखे और दिखाये - बताए जाने लगते हैं। यह सिलसिला स्वाधीनता हासिल के बाद का पूरा भारतीय समय में है।
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-गंगेश गुंजन

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