ढेलमासुक हम ढेप भेल छी।
खलिया गाड़िक खेप भेल छी।।
यार-दोस्त सम्बन्धिक परिकठ।
माटि-मलहमक लेप भेल छी।।
एते पैघ आबादीक गामक ।
गनल-गुथल अभिशेष भेल छी।।
परिवेशक वन आ झाँखुर सँ ।
अपनहि मे हम कोनो जेल छी।।
न्यायालय केर कोनो दोख की।
बिनु अपराधो बन्द भेल छी।।
टीशन बीचक घन अन्हार मे।
इंजिन भङ्गठल रेल भेल छी।।
लोकतंत्र केर मंदिर - मस्जिद।
एक बेर संसदो गेल छी।।
संविधान बनबैत सभा घर।
तकरहि हम बूड़ि-बकलेल छी।।
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-गंगेश गुंजन। 10.03.’16.
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