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के कहबा लए के सुनैत अछि
सब अपने ताले नचैत अछि
भरल गरीबी भूख अशिक्षा
धनक ऎ अंबार अछैत अछि
ओ हँसि रहला सब कनैत अछि
गाम-गाम एहिना जियैत अछि
ओ सतबय अपना प्रभुता सँ
ई निरीह जनता सहैत अछि
एकसर आ एकान्ती पड़ितो
ककरो लग ने क्यो अबैत अछि
-गंगेश गुंजन
5 अगस्त, 2013 ई.
के कहबा लए के सुनैत अछि
सब अपने ताले नचैत अछि
भरल गरीबी भूख अशिक्षा
धनक ऎ अंबार अछैत अछि
ओ हँसि रहला सब कनैत अछि
गाम-गाम एहिना जियैत अछि
ओ सतबय अपना प्रभुता सँ
ई निरीह जनता सहैत अछि
एकसर आ एकान्ती पड़ितो
ककरो लग ने क्यो अबैत अछि
-गंगेश गुंजन
5 अगस्त, 2013 ई.
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