ग़म अगर है तो बँटवारा हो /
कुछ हो मेरा ज़रा तुम्हारा हो //
आज भी जीना क्यूँकर मुश्किल /
ज़रा जो दोस्त का सहारा हो //
दूर तक चार सिम्त पानी है /
एक उम्मीद है किनारा हो //
सहे नखरे बड़े उठाए नाज़ /
अब अंदेशा है कि गवारा हो //
आह माज़ी पुकारता है मुझे/
वो ज़िन्दगी वही दुबारा हो //
हरेक लम्हा बदरूप बेजान /
रही हसरत खुशनुमा प्यारा हो //
ख़ुद तो माँ के हुए ना बाबा के /
मेरा बच्चा मगर हमारा हो //
*
१२ मई,२०१५ .
-गंगेश गुंजन .
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