मैथिलीक ‘छुड़कुल्ला’ संँ बेसी ललित आ व्यञ्जनाक शब्द ‘शिगूफ़ा’ छैक? कहै जाउ तँ। तथापि,
अपने ध्यान देबै जे प्रसंग अयला पर कय गोटय मातृभाषा प्रहरी लोक सेहो ‘शगूफ़े लिखता / लिखती, ‘छुड़कुल्ला’ नहिं।
एक दिन एही बाटे नीक संँ नीक भाषाक रस सौरभ सुखा क’ सिठ्ठी भ’ जाइ छै। 🌺!🌺 गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडे.
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