Wednesday, August 9, 2023

बोलबाला सब बाज़ार का है... ग़ज़लनुमा

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  बोलबाला सब बाज़ार का है
  सिलसिला हर सू व्यापार का है।

  हुए इतिहास देश दुनिया सब
  आदमी बचा कारोबार का है।

  रहे कि चली जाये आदमीयत
  हाल जो वक़्ते शर्मसार का है।

  चली गई वफ़ा की वफ़ादारी
  रूप भी मीडिया अख़बार का है।

  सब से नाराज़ ही लगे है सब
  बन्द घर पड़ोसी सब द्वार का है।

  हैं सभी सरंजाम फिर एक बार
  अपने वोटर जन-विस्तार का है।

  फ़िक्र में ही हम अभी से रहते हैं
  अंदेशा सियासी संहार का है।

  वक़्त ये समझे समझाए कोई
  होशियारों से ख़बरदार का है।

  अब दुआओं से नहीं चलता काम
  मामला उसके इन्तज़ार का है।
                   ❄️।❄️

                 गंगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क

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