Tuesday, November 30, 2021

......रो रो कर के जीना भी क्या जीना है

                    ।🔥।
      क़िस्मत क़िस्मत रो-रो कर के
      जीना भी क्या जीना है।
      ज़हर को आशीर्वाद समझ कर
      पीना भी क्या पीना है।

      जो कहते हैं पूर्व जन्म के कर्मों
      का फल भोगते तुम
      दोस्त समझ लो उन्होंने ही सब
      कुछ तुम से छीना है।

      उसके सुनहरे जाल को समझो
      मन्दिर-मस्जिद-गिरजाघर
      इनके धर्म अंधेरे में अब बहुत
      सम्भल के चलना है।

      उनकी ताक़त काली दौलत की
      है और सियासत भर
     अपने पास नेमते क़ुदरत हिम्मत
      लाल पसीना है।

      मौसम की रंगीन मिज़ाजी कुछ
      दीवारों की है रखैल
      उसे मुक्त करने का गुंजन ये ही
      सही महीना है।
                       |🏡|
                   गंगेश गुंजन

              #उचितवक्ताडेस्क।

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