Monday, August 23, 2021

विचार भी बूढ़ा होता है !

                     |🌳|        
         विचार भी बूढ़ा होता है  !
                      *
   समाज का ऊंँचा से ऊंँचा,सुन्दर
   से सुन्दर सिद्धांँत भी बिना प्रश्न
   और किसी अड़चन के,किसी
   मान्य आस्था की पुरानी निर्धारित
   लीक पर बहुत दिनों तक चल-
   चल कर रूढ़,मूढ़ या जड़ हो ही
   जाता है।
   और विचार जब रूढ़ हो जाता है
   तो वही सुन्दर से सुन्दर सिद्धांँत
   एवं बुरे से बुरा नेता की तरह बन
   जाता है। ऐसे में ही राजनीतिक
   विचार-दर्शन आदर्श भी
   पतनशील हो कर रहते हैं ।
      कहा ही जा सकता है कि जड़
   विचार भी समाज को उसी तरह
   हाँकने लगता है जैसा कोई बुरा
   राजनेता।
                        **   

                 गंगेश गुंजन         
            #उचितवक्ताडेस्क।

No comments:

Post a Comment