Sunday, November 22, 2020

अफ़सोस के इलाक़े

अब दूर से दिख जाते हैं अफसोस के इलाक़े  ज़ाहिर है उसी पग पर रुख़ मोड़ लेता हूं।

तज़ुर्बे तो बहुत रिश्तों के सफ़र में हुए लेकिन       जो सो गये हैं उन्हें वहीं छोड़ देता हूं। 

                     गंगेश गुंजन

                  #उचितवक्ताडेस्क।

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