। शिक्षा और भाग्य ।
साधारण जन-मानस में गहरे बैठे हुए भाग्यवाद को कोई आत्मनिर्भर सक्षम शिक्षा-प्रणाली ही उखाड़ कर फेंक सकती है। और लोकतंत्र में यह काम सदैव,सत्ता की राजनीतिक इच्छाशक्ति और चरित्र पर निर्भर रहता है।
गंगेश गुंजन
# उचितवक्ता डेस्क।
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