* दु:ख का पहाड़ और ज़िन्दगी *
मनुष्य के जीवन पर दु:ख का पहाड़ भी पड़ जाये तो भी जीवन उसे बेल्लाग उतार फेंक कर निकल जाता है।ज़िंदगी उसे ऐसाचकमा देती है कि दु:खोंका पहाड़ धरा ही रह जाता है।
-गंगेश गुंजन। [उचितवक्ता डेस्क]
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