बलंद अज़्मत रखते हो रखो क्या होगा
ये चटानें तो टूटती हैं हथौड़े से।
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खेत की फ़सलें कागज की फ़ाइलें नहीं
इन्हें क़लम नहीं हंसिया कोई काटेगी।
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बहुत सीटी लगा कर चुप हो गया कूकर
रसोई की ज़रा चुप्पी से विस्फोट हो गया।
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-गंगेश गुंजन
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