Thursday, July 18, 2013

मकसद क्या है यह तो तय हो ,
फिर बढ़ने की जुगत करें
वरना बैठ किनारे में एक और
तमाशा बनें दिखें
कुछ नाकामी पर सर पीटें
ढेरों दु:ख के गीत लिखें या
ढूढें मुक्ति -द्वार खोजें .
बेह्तर इससे संसार !

१ १ जुलाई,२० १ ३ .  

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