Tuesday, June 13, 2023

ग़ज़लनुमा : कहते-कहते थक जाता है झुठ्ठा भी

                 । 🔥 ।
कहते-कहते थक जाता है झुठ्ठा भी
सुनते-सुनते पक जाता है  सच्चा भी।

अथक क़दम रहने वाले जो हुए हौसले
उनके आगे रुक जाता है रस्ता भी।

जिन आँखों का सपना बासी हो न कभी
उनकी फ़ितरत नाकामिए विवशता भी।

रिश्ते हैं तो होंगे भी जब-तब मायूस
लेकिन कर क़ायम रख मधुर सरसता भी।

हिम्मत हो जज़्बा जुनूँ मक़्सद भी हो
एक आज़ाद ज़ेह्न समाजी दस्ता* भी।
    

  *फ़ौज की टुकड़ी,गारद।
                   💥
               गंगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क।

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