कई दुःख की कहानी लिख गया है। ख़ुशी की दास्तां कुछ गढ़ गया है। बहुत था बोझ कांधे सिर प' उसके थके धीमे कदम से घर गया है।
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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